एनल फिशर: कारण, लक्षण और आसान इलाज

क्या आपको टॉयलेट करते समय तेज़ दर्द या जलन महसूस होती है? हो सकता है आपको एनल फिशर हो – ये आपके मलद्वार (पिछवाड़े) की नाजुक त्वचा में एक छोटा सा कट या चीरा होता है।
एनल फिशर क्या होता है?
एनल फिशर मतलब आपके पिछवाड़े की त्वचा पर एक छोटा सा कट या चीरा, बिलकुल वैसे जैसे कागज़ से उंगली कट जाती है। ये जगह बहुत नाज़ुक और सेंसिटिव होती है, इसलिए इतना छोटा कट भी काफी दर्द दे सकता है।
एनल फिशर तब होता है जब:
- पॉटी करते समय ज़ोर लगाना पड़ता है
- बहुत सख्त या बड़ी पॉटी आती है
- बार-बार ढीली पॉटी (डायरिया) होती है
हालांकि ये दर्दनाक हो सकता है, लेकिन ज़्यादातर एनल फिशर खतरनाक नहीं होते और अगर ध्यान रखा जाए तो कुछ हफ्तों में खुद ही ठीक हो जाते हैं।
एनल फिशर के आम लक्षण
- पॉटी करते समय और बाद में तेज़ चुभने वाला दर्द, जो कई बार मिनटों से लेकर घंटों तक रह सकता है
- पिछवाड़े के पास जलन या खुजली
- टॉयलेट पेपर या पॉट में चमकदार लाल खून दिखना
अगर आपको ताज़ा खून दिख रहा है, पॉटी करते समय जलन और तेज़ दर्द हो रहा है, और पिछवाड़े के पास एक कट जैसी हल्की सी लकीर महसूस हो रही है — तो ये पाइल्स (बवासीर) नहीं, बल्कि एनल फिशर हो सकता है।
एनल फिशर होने के कारण:
- कब्ज़ और बहुत सख्त या बड़ी पॉटी का आना
- बार-बार ढीली पॉटी (डायरिया), जिससे त्वचा में जलन होती है
- पॉटी करते समय ज़्यादा ज़ोर लगाना
- डिलीवरी के दौरान (खासतौर पर नॉर्मल डिलीवरी में)
- पिछवाड़े में चोट लगना या एनल सेक्स
कभी-कभी एनल फिशर कुछ बीमारियों की वजह से भी हो सकता है, जैसे कि क्रोहन रोग (Crohn’s disease), संक्रमण (इन्फेक्शन) या अन्य आंतों में सूजन वाली बीमारियाँ (inflammatory bowel disease)।
एनल फिशर का घर पर इलाज कैसे करें
ज़्यादातर एनल फिशर खुद-ब-खुद ठीक हो जाते हैं अगर आप थोड़ा ध्यान रखें:
गर्म पानी की सिट्ज़ बाथ लें:
दिन में 2–3 बार, खासकर पॉटी के बाद, गुनगुने पानी (बहुत गर्म नहीं) में 10–15 मिनट तक बैठें।
यह पिछवाड़े की मसल्स को आराम देता है और जल्दी ठीक होने में मदद करता है।
पॉटी को नरम (सॉफ्ट) रखें:
- रोज़ाना पर्याप्त पानी पिएं (कम से कम 6–8 गिलास)।
- फाइबर से भरपूर चीज़ें खाएं जैसे फल, सब्ज़ियाँ, ओट्स और साबुत अनाज।
- अगर अक्सर कब्ज़ रहती है, तो फाइबर सप्लीमेंट या सॉफ्ट पॉटी करने वाली दवा (stool softener) लेने पर भी विचार कर सकते हैं।
हल्के क्रीम या जैल का इस्तेमाल करें:
- पेट्रोलियम जैली (जैसे Vaseline) लगाने से आराम मिलता है।
- डॉक्टर दर्द कम करने और मसल्स को ढीला करने वाली दवाइयों वाली क्रीम भी बता सकते हैं।
साफ-सफाई आराम से करें:
- साफ करने के लिए मुलायम और बिना खुशबू वाले वाइप्स इस्तेमाल करें या गुनगुने पानी से धोएं।
- जोर से रगड़ना या तेज़ साबुन का इस्तेमाल न करें, इससे जलन बढ़ सकती है।
डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए:
अगर आपका फिशर:
- 6–8 हफ्ते से ज़्यादा समय तक ठीक नहीं हो रहा हो (इसे क्रॉनिक फिशर कहते हैं)
- बार-बार दोबारा हो रहा हो
- बहुत ज़्यादा दर्द या खून निकल रहा हो
तो अब डॉक्टर को ज़रूर दिखाना चाहिए।
डॉक्टर क्या सलाह दे सकते हैं:
- क्रीम या मरहम (जैसे नाइट्रोग्लिसरीन या कैल्शियम चैनल ब्लॉकर) जो एनल मसल्स को रिलैक्स करती हैं और खून का बहाव बढ़ाती हैं ताकि फिशर जल्दी ठीक हो।
- बोटॉक्स इंजेक्शन, जिससे मसल्स की ऐंठन (स्पैज़्म) कम होती है।
अगर कुछ भी असर नहीं करता, तो छोटी सी सर्जरी (जिसे लेट्रल इंटरनल स्फिंक्टेरोटोमी कहा जाता है) की सलाह दी जाती है – इससे फिशर पूरी तरह भर जाता है और लंबे समय तक आराम मिलता है।
एनल फिशर से बचाव के आसान उपाय:
- हर दिन पर्याप्त पानी पिएं ताकि शरीर हाइड्रेट रहे।
- फाइबर वाला खाना खाएं (जैसे फल, सब्ज़ियाँ, दालें) ताकि पॉटी सॉफ्ट रहे।
- पॉटी रोक कर न रखें और ज़ोर लगाने से बचें।
- टॉयलेट के बाद साफ-सफाई आराम से करें, जोर से न रगड़ें।
ये अच्छी आदतें सिर्फ फिशर से ही नहीं बचातीं, बल्कि आपके पाचन तंत्र को भी हेल्दी रखती हैं।
निष्कर्ष (Conclusion):
एनल फिशर आम परेशानी है और दर्दनाक भी हो सकता है, लेकिन ज़्यादातर मामलों में ये घर पर थोड़ी देखभाल से ठीक हो जाता है — जैसे गुनगुने पानी में बैठना, पॉटी को सॉफ्ट रखना और थोड़ा धैर्य रखना।
अगर परेशानी लंबे समय तक बनी रहे या और ज़्यादा बढ़ जाए, तो डॉक्टर से ज़रूर सलाह लें — वे क्रीम, बोटॉक्स या ज़रूरत पड़ने पर छोटी सर्जरी भी सलाह दे सकते हैं।
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